सिया राम घर लौट के आए, अवध वासी होली मनाए। सिया राम घर लौट के आए, अवध वासी होली मनाए।
सखियां है भाव विभोर, जनकपुर देखन खों। आए ---- सखियां है भाव विभोर, जनकपुर देखन खों। आए ----
आओ आओ अवधपुर राम जी हम कब से निहारें तोरी राह जी। आओ आओ अवधपुर राम जी हम कब से निहारें तोरी राह जी।
राम का दरबार, राम की गाथा, सबकी आँखें नम, चेहरा मौन है, राम का दरबार, राम की गाथा, सबकी आँखें नम, चेहरा मौन है,
मेरे सपनों का भारत , काश ! तीन सौ वर्ष पूर्व की गंगा सा पावन, निर्मल होता! मेरे सपनों का भारत , काश ! तीन सौ वर्ष पूर्व की गंगा सा पावन, निर्मल होता!
राम राम टें टें शायद राम का अर्थ वो नहीं जानता या नहीं जानता मैं। राम राम टें टें शायद राम का अर्थ वो नहीं जानता या नहीं जानता मैं।